ज्ञापन में निम्नलिखित 10 मांगें रखी गईं:-
1. निजी अस्पतालों में विभिन्न प्रकार की अनावश्यक बिलिंग को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की जाए।
2. सर्जरी और जांच के लिए मरीजों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए।
3. सभी निजी अस्पतालों में उपचार शुल्क, सर्जरी शुल्क, और अन्य सेवाओं की स्पष्ट सूची प्रदर्शित की जाए।
4. आयुष्मान योजना का पालन सभी निजी अस्पतालों में सुनिश्चित किया जाए।
5. निजी अस्पतालों द्वारा मरीजों के इलाज में लगाए जाने वाले सामान्य शुल्क को नियंत्रित किया जाए।
6. मध्य प्रदेश स्वास्थ्य सेवा नियमों और केंद्र सरकार के क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट 2010 का सख्ती से पालन सुनिश्चित कराया जाए।
7. निजी अस्पतालों द्वारा दिए गए बिलों की नियमित जांच के लिए एक निगरानी समिति का गठन किया जाए।
8. अस्पतालों को मरीज और उनके परिजनों को इलाज से पहले संभावित खर्च की जानकारी देने का निर्देश दिया जाए।
9. आपातकालीन सेवाओं में अस्पतालों द्वारा अनावश्यक बिलिंग या उपचार न करने पर सख्त कार्रवाई की जाए।
10. निजी अस्पतालों के लिए निर्धारित दरों की सीमा का प्रचार-प्रसार किया जाए, ताकि नागरिक जागरूक हों और अस्पतालों की मनमानी लूट पर रोक लग सके।
युवा कांग्रेस नेताओं ने कहा कि इन मांगों का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और मरीजों के साथ हो रहे शोषण को रोकना है। यदि प्रशासन जल्द कार्रवाई नहीं करता, तो आंदोलन तेज किया जाएगा।
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